किसी ने बहुत बेहतर लिख भेजा - कि लाश पानी पर तैरती क्यों है, ...क्योंकि डूबने के लिए तो ज़िन्दगी चाहिए ....सच में जो ज़िन्दगी में डूबे हैं, वही ज़िन्दगी जी रहे हैं , बाकी सब लाशें। चारों ओर ढेरों नज़र आती हैं , जो बस सतह पर तैर रही हैं और शिकायत कर रही हैं ज़िन्दगी से, बिना डूबे उबरना चाहती हैं, ये कुदरत का उसूल नहीं, उसके नियम को तब्दील करना हमारे बस में भी नहीं, इसलिए ......ज़िन्दगी और हर काम ....बस आग का दरिया है, और डूब के जाना है, इतना तय है कि ये आग सोना ही बनाएगी तपा तपा कर ..
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